इस
कविता में हर भारतीय को आई मुसीबतों से लड़ने की प्रेरणा दी गई है और नई आशाओं को
जगाने का प्रयास किया गया है।
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क्यूँ डरा हुआ सहमा सा लाचार है तू ,
इस
धरती पर ईश्वर का भेजा अवतार है तू।
गीता
उपदेश और गुरुवाणी के रहते ,
क्यूँ
मुसीबतों से लड़ने को नहीं तैयार है तू ?
देश
की परेशानीयां क्या भागने से घटेंगी ,
क्या
फिर कायर कहलाने का हकदार है तू ?
अन्धेरा
कब सूरज का रास्ता रोक सका ,
बस
दूर इस उजाले से कदम चार है तू।
वो
भयानक दौर न रहा,तो यह भी गुज़र जायेगा ,
विज्ञान
,शक्ति , भक्ति से बना उपहार है तू।
- देव शरण -